Monday, October 1, 2018

यह ज़रूरी तो नही????

यह ज़रूरी तो नही????
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ज़िंदगी रोज़ गुजरती है सवालो की तरह हर बात का दे हम जवाब यह ज़रूरी तो नही ....
 कर जाते हैं चाहने वाले भी कभी कभी बेवफ़ाई हम भी कर जाए कुछ ऐसा यह ज़रूरी तो नही...
 किस तरह मुकमल हो रहा है ज़िंदगी का सफ़र और कितना पाया है हमने दर्द तुम्हे बता दे यह ज़रूरी तो नही ...
दिखाते हैं अपने चेहरे पर हँसी हर वक़्त हम तुम्हे पर इसके पीछे छिपी उदासी भी दिखा दे यह ज़रूरी तो नही...
 इस तरह तो हम कभी कमज़ोर ना थे ज़िंदगी में पर तेरे कंधो पर अपना सिर रख के रो दे यह ज़रूरी तो नही???? ...............pallav soni

Saturday, April 18, 2015

आज मृत्यु सैया पर मनो ,मेरे होने का प्रमाण नज़र आता है 
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आज जैसे ज़िंदगी का सार  आता है
आँखे  बंद है फिर भी  साफ़ नज़र आता है

 साँसों के  हिसाब से था ,अनजान आज तक
आज हूँ मोहताज़ तो बड़ा उधार नज़र आता है

भागता रहा  परछाईं से, आज तक जिसकी
आज बिन आईने के उसका अस्क नज़र आता है

 ना जात ना धर्म ,ना ऊंच ना नीच
आज तो बस सत्य का ज्ञान नज़र आता है

आज मृत्यु सैया पर मनो
मेरे होने का प्रमाण नज़र आता है।.


Tuesday, March 10, 2015

आज फिर वो बात याद आ गई .....


आज फिर वो बात याद आ गई .....

आज फिर एक घटना एसी घट गई फिर वो  बात याद आ गई
अभी तो निकले थे घर से अभी ये काली रात सामने आ गई

बेपरवाह बचपन मैं उठा करते थे जो कदम सच्चाई के साथ
आज लापरबाह जबानी में खोई सच्चाई फिर सामने आ गई

टूटते तो तारे भी हैं हजारों असमान से हजारों ख्बाहिसों के साथ
फिर तू क्यूँ  टूटता है  चंद सपनों के साथ वो बात याद आ गई

सुनहरी कल्पनायों की झाड़ियों में फसा क्यूँ  गैरों के साथ
फिर भी नहीं मिटाता बंदिशें अपनों के साथ वो बात याद आ गई

आज भी यूँ ही भटकता है बिना कोई मंजिल के साथ
फिर तू क्यूँ नहीं समझता अपने मन की बात वो बात याद आ गई

चला है सबके जीवन से दुःख मिटाने अपने भरोसे के साथ
फिर क्यूँ  होता है दुखी अपने जीवन के साथ वो बात याद आ गई

 उम्मीद लगाया बैठा है कर जाऊ कुछ तो आज
फिर क्यूँ सोचता है कल की बात वो बात याद आ गई....



कुछ पंक्तियाँ "श्री अरविन्द्र केजरीवाल जी"को समर्पित।।।
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कल मनमोहन आज मोदी और कल ना जाने कौन महामहीम होगा 
हाँ यही सत्य है और इनका ना कोई उपचार होगा 

कल की बात भुला कर नए पहलुओ पर विचार होगा 
हाँ क्यों नहीं भाई आखिर रंक भी तो कभी राजा होगा। 

बहुत से मुद्दों के निवारण का भी प्रस्ताव होगा 
हाँ मगर ये प्रस्ताव, प्रस्तावना तक ही सीमित होगा। 

हर एक नागरिक भले ही मतदान का हक़दार होगा 
पर सायद वो दो पहर की रोटी का मोहताज होगा। 

बेशक मंगल और चाँद सब एक होगा 
पर क्या हमारी पृथ्वी का यही हाल होगा। 

कभी बिजली होगी तो कभी पानी होगा 
एक -एक कर सब इनका शिकार होगा।

                                                                                                                                 …   पल्लव सोनी    








Wednesday, September 4, 2013

अनकहे शब्द तो  हम भी समझ लेते। …… आखिर तुमने कुछ कहा तो होता। ……. 
बस अलबिदा ही कह चल दिए होते। ………आखिर इंतजार हमे ना करना होता। ………. 

Friday, August 2, 2013

उन परिंदों को कैद करके रखना 
मेरी फितरत में नहीं 
जो मेरे दिल के पिंजरे में रह कर 
भी उड़ने का सौक रखते हैं । … 

Saturday, July 27, 2013

दिल के सब अहसासों को मैंने दबाना सीख लिया !!
दिख ना जाये गम बस मैंने छिपाना सीख लिया !!!
आदत सी थी मुझे इन मखमल के बिछोनो की ,,,,,,,,,,,,
मुफलिसी  में मैंने जमीनी बिस्तर लगाना सीख लिया !!!!!