Thursday, August 23, 2012

हो के पास किसी के जब तू दूर कभी हो जायेगा
आना चाहे लौटके फिर ना रास्ता वो ढून्ढ पायेगा
बढ़ते  आगे धीरे धीरे लौट के ना फिर  तू पायेगा

तू यहाँ जो करता है  फ़िक्र इस ज़माने की
ये तो सब है अनजाने
क्यूँ भला तू न जाने ..........................!!
रस्म कसम बादो में है पड़ा तू क्यूँ इतना
कल को मुकर जायेगे
 है ये सारे अफसाने .............................!!
 आज अभी जो है तेरा कल कही खो जायेगा
चार दिन का है महमा
जान ले ओ अनजाने .........................!!

दे के दुःख किसी को जब तू बाद में पछतायेगा
मांगना चाहे माफ़ी पर तू ढून्ढ उसे ना पायेगा
 बढ़ते आगे धीरे धीरे लौट ना फिर तू पायेगा

थाम कर तू  चलता है आज जिनके हांथों को
 कल को छोड़ जायेगे
मान ले ओ दीवाने ..............................!!