आज मृत्यु सैया पर मनो ,मेरे होने का प्रमाण नज़र आता है
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आज जैसे ज़िंदगी का सार आता है
आँखे बंद है फिर भी साफ़ नज़र आता है
साँसों के हिसाब से था ,अनजान आज तक
आज हूँ मोहताज़ तो बड़ा उधार नज़र आता है
भागता रहा परछाईं से, आज तक जिसकी
आज बिन आईने के उसका अस्क नज़र आता है
ना जात ना धर्म ,ना ऊंच ना नीच
आज तो बस सत्य का ज्ञान नज़र आता है
आज मृत्यु सैया पर मनो
मेरे होने का प्रमाण नज़र आता है।.
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आज जैसे ज़िंदगी का सार आता है
आँखे बंद है फिर भी साफ़ नज़र आता है
साँसों के हिसाब से था ,अनजान आज तक
आज हूँ मोहताज़ तो बड़ा उधार नज़र आता है
भागता रहा परछाईं से, आज तक जिसकी
आज बिन आईने के उसका अस्क नज़र आता है
ना जात ना धर्म ,ना ऊंच ना नीच
आज तो बस सत्य का ज्ञान नज़र आता है
आज मृत्यु सैया पर मनो
मेरे होने का प्रमाण नज़र आता है।.
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